जुस्तजू भाग --- 14
ये इश्क़ दवा है कि मर्ज, या खुदा !!
किसी को खोने का गिला है कोई पाकर फंसा है ।।
तो जनाब कलक्टर साहब बुरे फंसे थे। सारी होशियारी आज इस वक्त गायब थी। दिमाग़ लाल बत्ती जलाए बैठा था।
"अनुपम, जल्दी कुछ सोच। वरना ये हाइपर हुई तो तेरा राम ही रखवाला है।" तभी उसे कुछ ध्यान आया। उसने तुरंत आलमारी खोली।
खट्टी मीठी इमली रख छोड़ी थी उसने। आरूषि को बेहद पसंद थी। और उसने आरूषि की खुशनुमा यादें बनाए रखने के लिए रख रखी थी। उसने निकाली और रोती आरूषि को अपने गले से लगाकर चुपचाप उसके हाथ में थमा दी। आरूषि को हाथ में अहसास हुआ तो उसका ध्यान गया।
"इमली...!!! वह रोना भूल गई एक बार,"आपको कहां मिली !! आपको कैसे पता मुझे पसंद है ??"
"लो !! अब क्या करूं !!! नमाज़ पढ़ने गए, रोजे गले पड़ गए !!! हे ईश्वर, इस मुसीबत का कोई तो हल होगा ?"
तभी आरूषि का ध्यान खाने की प्लेट पर चला गया।
" बस अपने बच्चे को क्या देने को बोल दिया, मुझे ही सुना डाला। 3 साल कहां रही, कैसे रही एक बार नहीं पूछा । खोजने की बात करते हैं, खोजते मेडिकल कॉलेज में। किसी में मिल जाती ! फिर मम्मीजी को कैसे दिया है मैं ही जानती हूं। बेटे को खोने का अफसोस मना रहे हैं, आपकी खुशी उसी में थी। मेरा साथ तो चाहिए ही नहीं। जबरदस्ती गले जो पड़ गई थी।....."आरूषि हाइपर होने लगी थी।
अनुपम को कुछ नहीं सूझा तो उसने तुरंत इमली उसके मुंह में डाल दी। इमली निगल ही पाई थी आरूषि कि उसने खाने का कौर उसके मुंह में रख दिया।
"देखो, मुझे खाली पेट तेज एसिडिटी हो जाती है।"
"तो मुझे क्यों खिला रहे हैं खुद खाइए न !! "
"आपको ध्यान था न, तो खिलाया क्यों नहीं ?"
"बच्चे हैं क्या ? प्लेट लाई थी न !!"
"खिला भी सकती थी।"
"तो बच्चों की तरह रूठे थे !!"
दोनों अपनी उम्र, पढ़ाई, पद, पेशा सब भूल गए थे। जो था उनके बीच, वह सिर्फ प्यार, परवाह और उनका बचपन।
आरूषि उसे खाना खिलाने लगी। ख़त्म करते ही अनुपम बोल पड़ा, "खाना अच्छा बनाने लगी है आप। वरना दवाई ही खिला देने का कहा था किसी ने।"
"दवाई भी खिला दूंगी। चाहिए तो बोलिए।" आरूषि दिखावटी नाराजगी से बोली और प्लेट ले गई।
अनुपम ने और मिठास घोलने का सोचा और अपनी पहचान का लाभ उठाते हुए फ़ोन कर मैग्नम आइस्क्रीम मंगवा ली।
आरूषि किचन में काम निपटाकर पहुंची तो टेबल पर आइस्क्रीम देखकर खुश हो गई।
अनुपम उसे बच्चों की तरह खुश होते देखकर हैरान था।
"कुछ भी नहीं बदला। तुम आज भी वैसी ही हो। वही परी सी !!"
उसने पीछे से आकर आरूषि के माथे पर किस किया।
आरूषि का आज का दिन सपनो जैसा था। उसे मम्मीजी और अनुपम दोनो का प्यार मिला था।अनुपम की बाहों में आकर कुछ अलग ही सा फील हो रहा था।
"आपकी हंसी में हमारी खुशी है और आंसुओं में गम"
"ओह !! शायरी भी आती है आपको !!"
"बस निकल गई एक तुकबंदी।"
"अब सो भी जाइए !!"
"साथ मिले तो कोई हर्ज नहीं !! आखिर इतने लंबे इन्तजार का कुछ तो इनाम मिलना चाहिए।"
आरूषि का चेहरा शर्म से लाल हो उठा।
"लगता है इंजेक्शन देना पड़ेगा !! फ्लर्टिंग की सजा देना बनता है।"
"हां तो !! सोल राइट्स है हमारा आप पर। और सजा मिलनी ही है तो...।"आगे के शब्द बाहर निकलते कि आरूषि का हथेली उसके मुंह पर चिपक गई थी।......."
रात अपनी गति से सुबह की ओर बढ़ चली थी !!
Sandhya Prakash
25-Jan-2022 08:16 PM
बहुत ही बढ़िया सॉलराइट...🧐
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राधिका माधव
25-Dec-2021 11:35 PM
इत्तू सा पार्ट😔😔😔 एक तो पूरे दिन इंतजार और इतना सा पढ़ने को मिले, नाइंसाफी है आपके रीडर्स के लिए। आपसे अनुरोध है समय निकाल कर थोड़ा बड़ा भाग डाला करें।
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Ajay
26-Dec-2021 03:53 AM
आज सुबह का इंतज़ार कीजिएगा। कोशिश है कि कुछ सेकिंडो में आ जायेगा 🙏🏻🙏🏻
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